हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , हिंदुस्तान के मशहूर खतीब ज़ाकिर ए अहलेबैत अ.स.डॉक्टर मौलाना सैयद शहावर हुसैन नक़वी से एक खुसूसी इंटरव्यू लिया गया जिसमें उन्होंने हज़रत मोहम्मद ताकि अ.स.की सीरत और सामाजिक और राजनीतिक जिंदगी पर तफसील से रौशानी डाली।
इंटरव्यू कुछ इस प्रकार है:
हौज़ा न्यूज़ : मौलाना साहब सलाम अलैकुम व रहमतुल्लाह,पहला सवाल यह है कि नवें इमाम को "जवाद" और "तकी" के लक़ब क्यों दिए गए?
मौलाना शहावर हुसैन सहाब :वालेकुम सलाम शुक्रिया! दरअसल ये लक़ब इमाम अलैहिस्सलाम की शख्सियत के दो अहम पहलुओं की अक्स-अंदाजी करते हैं। "जवाद" का मतलब है, बहुत ज्यादा सखी। इमाम अलैहिस्सलाम की सखावत ज़रबुल मिसल है। आप मुहताजों, मिस्कीनों पर अपना सब कुछ निछावर कर देते थे, चाहे आपके पास खुद कितना ही कम क्यों न हो। और "तकी" का लक़ब आपके बुलंद पाया तकवा, परहेज़गारी और खुदा की बंदगी में गहराई की तरफ इशारा है। ये दोनों लक़ब मिल कर हमें एक कामिल इंसान की तस्वीर पेश करती हैं।
हौज़ा न्यूज़ : इमाम जवाद अलैहिस्सलाम ने सिर्फ 5 साल की उम्र में इमामत की ज़िम्मेदारी संभाली। क्या यह उम्र इतने बड़े पद के लिए कम नहीं थी?
मौलाना शहावर हुसैन सहाब : यह सवाल उस वक़्त के बहुत से लोगों के दिल में था। लेकिन इमामत एक इलाही मनसब है, जो इल्म और तकवा पर मुतवक्कि है, उम्र पर नहीं। इमाम मोहम्मद तकी अलैहिस्सलाम ने अपने ज़बरदस्त इल्म, फ़हम और हिकमत से यह साबित कर दिया कि खुदा की मरज़ी से कोई भी कम उम्र में भी इल्म का समंदर हो सकता है। खलीफा मामून रशीद जैसे ताक़तवर शासक ने आपके इल्म को देख कर अपनी बेटी का निकाह आपसे कर दिया। यह उनकी काबिलियत का सबसे बड़ा सबूत था।
हौज़ा न्यूज़ : इमाम अलैहिस्सलाम के दौर का राजनीतिक माहौल कैसा था? और उन्होंने उस चुनौतीपूर्ण दौर में कैसे अपनी ज़िम्मेदारी निभाई?
मौलाना शहावर हुसैन सहाब : यह अब्बासी खलीफाओं, खास तौर पर मामून और मुतासिम का दौर था। बाहरी तौर पर इज्ज़त थी, लेकिन अंदरूनी तौर पर अहले बैत अलैहिमुस्सलाम के खिलाफ साजिशें चल रही थीं। इमाम को दरबार में बुलाया जाता है ताकी हिक्मती सवालों से फंसाने की कोशिश की जाए मशहूर वाक़िया है कि काजी यहया बिन अकसम ने एक पेचीदा फ़िक़ही सवाल पूछा, तो इमाम अलैहिस्सलाम ने न सिर्फ उसका जवाब दिया, बल्कि उस सवाल के कई इहतिमालात बयान कर के अपनी इल्मी बरतरी साबित की।
हौज़ा न्यूज़ : इमाम मोहम्मद तकी अलैहिस्सलाम की रोज़ाना ज़िंदगी और आदतें कैसी थीं?
मौलाना शहावर हुसैन सहाब : आपकी सीरत पैग़म्बरों के अख्लाक की झलक थी। रातों को क़याम, सुबह की नमाज़ और तिलावत-ए-कुरआन आपका मामूल था। गरीबों की ख़फ़िया इमदाद करना आपकी आदत थी। इमामत के बावजूद आपका अंदाज़ हमेशा अजीज़ी और इंकेसारी वाला था। आप सिखाते थे कि असली बड़प्पन दुनिया की चमक-दमक में नहीं, बल्कि खुदा के आगे झुकने और बंदों की खिदमत में है।
हौज़ा न्यूज़ : आखिरी सवाल,इमाम मोहम्मद तकी अलैहिस्सलाम की विलादत के मौके पर हमारी जिम्मेदारियाँ क्या हैं?
मौलाना शहावर हुसैन सहाब : इमाम मोहम्मद तकी अलैहिस्सलाम की विलादत के मौके पर बहुत कुछ जिम्मेदारीया है:
1,इल्म को आत्मसात करने की जिम्मेदारी: इमाम जवाद अलैहिस्सलाम ने बचपन से ही ज्ञान का जो अथाह समुद्र प्रस्तुत किया, हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनके बताए हुए मार्ग, उनकी रिवायतो और उनकी शिक्षाओं को सीखें, समझें और उन्हें अपने जीवन में ढालें।
2. उनके अख्लाक को अपनाने की जिम्मेदारी: उनकी सखावत, उनका सब्र, दुश्मनों के साथ भी नरमी, गरीबों की गुप्त सहायता इन सभी गुणों को हमें अपने व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन में उतारने का प्रयास करे। उनकी सीरत हमारे लिए एक नमूना हैं।
3. उनके संदेश को पहुँचाने की जिम्मेदारी: हमारा फर्ज बनता है कि हम इमाम के जीवन के उन पहलुओं को, खासकर युवाओं और आने वाली पीढ़ी तक, इस तरह पहुँचाएँ कि वे उनसे प्रेरणा ले सकें। कैसे कम उम्र में भी ज्ञान और जिम्मेदारी का परचम लहराया जा सकता है, यह सिखाना है।
4. गलतफहमियों को दूर करने की जिम्मेदारी: दुनिया में इस्लाम और अहले बैत के बारे में कई तरह की गलतफहमियाँ फैली हुई हैं। इमाम मोहम्मद तकी अलैहिस्सलाम की सहनशीलता, बुद्धिमत्ता और मानवीय संवाद की विरासत को दुनिया के सामने रखकर हम इन गलतफहमियों को दूर करने का काम कर सकते हैं।
हौज़ा न्यूज़ : धन्यवाद मौलाना साहब, आपके विचारों से हमें बहुत कुछ सीखने को मिला।
आपकी टिप्पणी